9.18.2008

"शुक्रिया, नव धनाढ्य पापा ! मुझे आदर्शो की ज़रूरत थी पर आपने मुझे एक BMW दी !!"

एक और BMW हादसा , पहलेवाले को हम भुले भी नही थे की दुसरा उठ खरा हुआ , नए धनवान हुए लोगो की उपज अभी हाल में ही प्रचलन मे आई है . देखा जाए तो नव धनाढ्य होने मे कुछ भी ग़लत नही है ,मगर प्रचलित बोलचाल की भाषा मे इसका मतलब यह होता है की आदमी ने करोडों रूपये कमा तो लिए है पर उनका आदर्श,बैंक बैलेंस के आसपास भी नही है . उन्होंने उल्टे -सीधे तरीको से जैसे भी पैसे बनाया हो वह कोशिश करता है कि लोग उनकी उपस्थिति का अनुभव करे l
अपने ब्यवहार से वह जता देता है कि लोगो को पता चल जाय की वह आ गया है l वह अपनी नई-नई पाई हुई चीजो का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रदर्शन करता है l
एक छोटा सा उदाहरण देखीए :-
सुनील ने अपने बेटे का १६वाँ बर्थडे, एक फाईव-स्टार होटल मे मनाया l एक ६ फ़ुट केक का आर्डर दिया l अपने बेटे को नई चमचमाती कार की चाबी थमाई और बोला बेटा तुमरे पापा तुमसे बेहत प्यार करते है l यह कार ले जाओ और मजे करो l अगर तुम पर कोई मुस्किल आ पड़े तो सिर्फ़ पापा को फ़ोन कर देना ,मेरे बहुत से प्रभावशाली संबंध है, अगर नही भी होते तो प्रभावशाली लोगो को खरीदने के लिए काफी पैसा है l बेटा अपनी पापा की अनुमति से बाहर की दुनिया मे गया , वह पागलो की तरह गाडी चला रहा था, पुरे शहर को इस सोच से डराता हुआ की तुम ध्यान दो क्योकि मै नही देने वाला l तभी दुसरे नव धनाढ्य लडके ने इसको ओवरटेक किया और उसे दखते हुवे मानो यह कह रहा हो " मै जीत गया मेरी गाडी तुम्हारी गाडी से बहतेर है मै तुमसे ज्यादा पैसेवाला हुँ" l पहले लडके के दिल को यह बात लग गई और उसने अपने को अपमानित महसुस किया और उसने एक्सीलरेटर को पूरी तेजी से दबा दिया फ़िर क्या था कार पेड से टकराई और वह धरती ग्रह को छोड गया, सीधे शब्दों मे कहें तो वह मर गया l
कहने का तातपर्य यह है की ज्यादातर सडक दुर्घटनाएँ अहम से संबंधित होती है l खासतौर से भारत मे जब लोग हाईवे पर अपनी कार चलते है और ठीक सडक के बिचो-बिच ड्राइव करते है l मै सोचता हूँ कि यह लोग अपनी लेन मे क्यो नही चलते, जैसे की ज्यादातर दुसरे देशों मे होता है l
हमे अपनी ट्राफिक ब्यवहार को सुधारना होगा और इन करोडपतीयों के बच्चों की कार पर लगाम लगना जरुरी है l
क्या मैं बडा-चढाकर बता रहा हूँ या ये हमारी सडको पर हर समय होता है l जरा सोचीऐ, यह सुनाने मे मजाक लग सकता है ,पर जिस परिवार ने अपने प्रियजन को खो दिया है उनके लिए यह दुखद घटना है , मजाक नही !!......ज़रा सोचियेगाl
हालही मे हुये BMW हादसे के परिवारजनों के इस दुख की घङी में ईश्वर उनको हिम्मत दे तथा मरने वाले की आत्मा को शान्ती प्राप्त होl

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4 comments:

Shastri JC Philip said...

"शुक्रिया, नव धनाढ्य पापा ! मुझे आदर्शो की ज़रूरत थी पर आपने मुझे एक BMW दी !!"

आपका शीर्षक अपने आप में एक लेख है!! सशक्त विश्लेषण!!



-- शास्त्री जे सी फिलिप

-- बूंद बूंद से घट भरे. आज आपकी एक छोटी सी टिप्पणी, एक छोटा सा प्रोत्साहन, कल हिन्दीजगत को एक बडा सागर बना सकता है. आईये, आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!

शोभा said...

आपके विचारों मैं काफी परिपक्वता है. अच्छा लगा पढ़कर. सस्नेह.

संतोष अग्रवाल said...

बहुत अच्छे! अब गाड़ी लाइन पर आ रही है. तुम एक कम और कर सकते हो. तुम्हारा टेक्नीकल साइड मजबूत है. अतः अपने इन्टरनेट सम्बंधित ज्ञान को बांटने के लिए एक और ब्लॉग शुरू कर सकते हो,और इसमे इन्टरनेट से सम्बंधित नई-नई उपयोगी जानकारियां उधृत की जा सकती है. लेकिन यह सरल भाषा में और एक आम आदमी के समझ में आने आने वाली होनी चाहिए.

R.G.Sovasariya said...

वाकई रईसजादो की रोज बढती गैरजिम्मेदाराना हरकतें समाज और देश के लिये चिन्ता का विषय है...हर मा बाप की तमन्ना होती है कि वह अपनी औलाद को हर मुमकिन सुख और सुबिधायें उपलब्ध करवायें,ईसमे कोई बुराई भी नही है.मगर साथ ही साथ उनका यह कर्तव्य भी है कि अपने नौनिहालों को समाजिक और नैतिक दायित्वों का पाठ पढायें|

आप जैसे नौजवानों को सभाजिक विषयों पर चिंतन करते देख कुछ ढाढस बन्धता है,वरना.....

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