मुझे यह बात बडे दुख़ के साथ कहना पड रहा है, क्योकि मै एक भारतीय हुँ और हमे बचपन से ही सिखाया जाता है कि मेहमान भगवान का रूप होते हैं. पर उन्हे (.............) कौन समझाये.
9.25.2008
भारत में पर्यटन (स्वर्ग,जो खो गया)
ज ब कोई हमारे भारत मे आता है तो बडे-बडे बेनर देखता है जिसपर लिखा रहता है कि "भारत में आपका स्वागत है" , पर हकिकत मे उन पर्यटकों का दुःस्वप्न अभी तो शुरू ही होता है जैसै की-आधे अधूरे समानों से सजे काउंटर, एक अव्यवस्थित प्री-पेड ट्रांसपोर्ट व्यवस्था ,अधिकारी जो परवाह नही करते और लालची दलाल,..इन सब से उनका सामना अंतर्राष्टीय हवाई अड्डों पर ही हो जाता है. दलाल हमारे पर्यटन उद्धोग का अंदरूनी हिस्सा बन गए है , जो मेहमानों को उसी छन से परेशान करने लग जाते है जब से वे आते है और तब तक करते रहते है जब तक वे चले नही जाते .धार्मिक जगह जैसे बनारस, पुरी, पुष्कर और हरिद्वार में पंडो का शासन है .जो पर्यटकों को लुटतें है. यहाँ तक की अपने देश के लोग भी धार्मिक जगहों पर जाने से डरते है क्यो की उन्हें भी लुट जाने का भय होता है .
मुझे यह बात बडे दुख़ के साथ कहना पड रहा है, क्योकि मै एक भारतीय हुँ और हमे बचपन से ही सिखाया जाता है कि मेहमान भगवान का रूप होते हैं. पर उन्हे (.............) कौन समझाये.
मुझे यह बात बडे दुख़ के साथ कहना पड रहा है, क्योकि मै एक भारतीय हुँ और हमे बचपन से ही सिखाया जाता है कि मेहमान भगवान का रूप होते हैं. पर उन्हे (.............) कौन समझाये.
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3 comments:
वत्स,
हर बीज मे पेड बनने की संभावनायें छुपी होती है.जब तक बीज बीज होता है,वह एक भीड का हिस्साभर होता है,पेड बनने पर उसे पहचान मिलती है.मगर बीज से पेड बनने का सफ़र उसे अकेले तय करना पडता है.
चलते रहो,मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ हुँ|
पर्यटन उद्योग की सबसे कमज़ोर नस पर हाथ रख दिया है आपने।सच है पर्यटकों के लिये स्वर्ग साबित हो सकता है विविधताओं से भरा भारत,मगर लालफ़ीताशाही और दलालों की वजह से इस उद्योग को पनपने से पहले ही दीमक लग गया है।बहुत सही लिखा आपने ।बधाई आपको।
क्या बात है बंधु जी बढ़िया प्रस्तुति के लिये साधुवाद स्वीकारें
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